भारत में धानुक बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश,हरियाणा, दिल्ली, गुजरात, पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों में भी पाए जाते हैं। कई जगह धानुकों को मंडल, जसवाल कुर्मी के नाम से भी जाना जाता है।
धानुक जाती का मुख्य काम धनुष बाण चलाना, धनुष बाण बनाना और खेती बारी (कृषि) करना, सेना में धनुष बाण धारण करते थे , धनुषधारी धानुक कहलाते थे, यह शब्द संस्कृत के शब्द धनुष्क के आया है। वे मुख्य रूप से बिहार में रहते है। ब्रिटिश भारत जनगणना १८८१ की रिपोर्ट के अनुसार धानुक जाती की संख्या लगभग ६६७४८२ थी धानुक जाती सर एच इलीअट की अनुसार बिहार से दुसरे प्रांत में आये हुए लोग हैं। पुरे भारत में धानुक जाती का आबादी लगभग 7,500,000 है।